आझम बात करेंगें की मुस्लिम कौन है और प्रोफेट मोहम्मद{Who Is Muslim And Prophet Mohammad} कौन है जिनको इस्लाम का प्रवर्तक कहा जाता है और जिनको इस्लाम फ़ैलाने का श्रेय जाता है | {Muslim law in Hindi}
Prophet Mohammad
- पैगम्बर मोहम्मद का जन्म मक्का में 571 ईo में हुआ था | उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम अमीना था | उनके पिता की मृत्यु के बाद उनका जन्म हुआ था | जब वह मात्र 6 साल के थे तब उनकी माता का भी देहावसान हो गया | इसके पश्चात् उनका पालन पोषण उनके पितामाह अब्दुल मुतल्लिब तथा उनके चाचा अबू तालिब ने किया था | वे बचपन से ही गंभीर स्वभाव के थे और अधिकांश समय चिंतन में लगाया करते थे |
- 13 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने चाचा की उनके व्यापार में सहायता करना प्रारम्भ कर दिया | व्यापार के प्रयोजनों हेतु उन्हें लम्बी लम्बी यात्रायें करनी पड़ती थी | इससे उन्हें अरब साम्राज्य की रुढियों को समझने का पर्याप्त अवसर मिला |
- 25 वर्ष की आयु में उन्हें एक संपन्न विधवा खदीजा बेगम द्वारा अपने व्यापार की देखभाल के लिए नियोजित किया गया था | खदीजा ने उनके उत्तम चरित्र से प्रभावित होकर उनसे निकाह कर लिया | खदीजा से उन्हें 2 पुत्र तथा 4 पुत्रियाँ हुई | फातिमा को छोड़कर उनकी सभी संतानों की मृत्यु उनके जीवनकाल में ही हो गई थी | खदीजा की मृत्यु के पश्चात् उन्होंने 3 अन्य महिलाओं से भी निकाह किया परन्तु उनसे उन्हें कोई संतान नही हुई |
- उन्होंने अरब साम्राज्य में प्रचलित बुराइयों के बारे में गंभीरतः से विचार किया और वे उन बुराइयों को समाप्त करने के साधनों का पता लगाने के लिए उत्सुक रहते थे | इसी परिप्रेक्ष्य में वे हिरा नामक पहाड़ियों के निकट एक एकांत गुफा में चिंतन करने के लिए जाया करते थे |यह कहा जाता है की 609 ईo में रमजान के माह में एक दिन वहाँ चिंतन करते समय उन्हें देवदूत जिब्राइल की आवाज सुनाई दी | उसे अल्लाह ने उनके पास भेजा था | उन्हें उससे अल्लाह का सन्देश प्राप्त हुआ | इसके पश्चात् 632 ईo में उनकी मृत्यु तक उन्हें कई दैवीय सन्देश प्राप्त हुए |
- उन्होंने जीवन के नए सिद्धांतो का प्रचार करना प्रारम्भ किया परन्तु मक्का में अधिकांश लोगो ने उन पर विश्वास नही किया और उनका विरोध भी किया | 622 ईo में वे अल्लाह के संदेशो का प्रचार करने के लिए मक्का छोड़कर मदीना चले गये | उनकी यह धार्मिक यात्रा हिज्रा या हिज्री या हिजरत कहलाती है |
- मदीना में उन्हें लोगो में ध्यानपूर्वक सुना | उनके द्वारा प्रचारित बातों को समझा और उनकी सराहना की | वहाँ के लोग उनसे अत्यधिक प्रभावित हुए | उन्होंने विरोधियों का सामना करने के लिए अपने-अपने अनुयायियों को इस्लाम धर्म के माध्यम से संगठित किया | 632 ईo में उनकी मृत्यु के समय उनको इस्लाम का आध्यात्मिक प्रमुख अभिस्वीकार किया जाता था |
मुस्लिम कौन है/Who Is Muslim :-
मुस्लिम एक ऐसा व्यक्ति है जिसका धर्म इस्लाम है | अरबी भाषा के शब्द “इस्लाम” से तात्पर्य ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण है | विधितः इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जिसमे यह विश्वास किया जाता है :-
अल्लाह एक और केवल एक है तथा मोहम्मद उसके पैगम्बर है |
अतः मुस्लिम होने के लिए यह विश्वास अपेक्षित है कि अल्लाह एक है और मोहम्मद उसके पैगम्बर है | किसी व्यक्ति का मुस्लिम माने जाने के लिए यह न्यूनतम अपेक्षा है | कोई भी व्यक्ति या तो जन्म से या धर्म परिवर्तन के माध्यम से मुस्लिम हो सकता है |
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जन्म द्वारा मुस्लिम:-
ऐसा व्यक्ति जिसके जन्म के समय उसके दोनों माता-पिता मुस्लिम थे तो उसको जन्म द्वारा मुस्लिम समझा जाता है | यदि किसी बालक के जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक ही मुस्लिम हो तो उसको मुस्लिम तभी माना जायेगा जब यह सिद्ध या साबित कर दिया जाये की उसका पालन-पोषण मुस्लिम के रूप में हुआ था |
ऐसा व्यक्ति जो जन्म से मुस्लिम है तब तक मुस्लिम माना जाता है जब तक वह वयस्कता प्राप्त करने पर इस्लाम धर्म का परित्याग न कर दे |
संपरिवर्तन द्वारा मुस्लिम :-
किसी भी धर्म का कोई भी व्यक्ति जो स्वस्थचित है और वयस्कता की आयु प्राप्त कर चूका है, अपने मूल धर्म का परित्याग करके मुस्लिम बन सकता है | इस्लाम धर्म में संपरिवर्तन निम्न दो रीतियों से हो सकता है :-
- कोई व्यक्ति साधारणतः यह घोषित कर सकता है की उसने अपने मूल धर्म का त्याग करके इस्लाम धर्म को कुबूल कर लिया है और यह विश्वास रखता है की अल्लाह एक है और मोहम्मद उसके पैगम्बर है |
- कोई व्यक्ति इस्लाम धर्म में विहित अनुष्ठानो का पालन करके भी मुस्लिम बन सकता है | इसके लिए उसे मस्जिद जाना होगा जहाँ इमाम उसे एक कलमा पढने के लिए कहेंगे और उसे एक मुस्लिम नाम देंगे |
संपरिवर्तन की उपरोक्त दोनों रीतियों की आवश्यक अपेक्षा यह है की एक गैर मुस्लिम इस्लाम के सिद्धांतो में विश्वास रखता है | परन्तु इस्लाम में किसी के विश्वास की वास्तविकता के अवधारण के लिए कोई वस्तुपरक परिक्षण नही है |
अतः जन्म द्वारा मुस्लिम एवंम संपरिवर्तन द्वारा मुस्लिम में एक भिन्नता है :-
जन्म द्वारा मुस्लिम की दशा में यह विधितः अवधारित किया जाता है या विधि यह मानती है की वह इस्लाम में विश्वास रखता है परन्तु संपरिवर्तन द्वारा बने मुस्लिम की दशा में यह साबित करना आवश्यक हो सकता है की इस्लाम को स्वीकार करने में उसका आशय सद्भावपूर्वक है अर्थात ऐसी दशा में यह साबित करना जरुरी होता है की गैर मुस्लिम व्यक्ति इस्लाम के सिद्धांतो में विश्वास रखता है | ऐसा इसलिए जरुरी है क्योंकि हो सकता है की कोई भी गैर मुस्लिम व्यक्ति इस्लाम कुबूल इस कारण न करे की उसे इस्लाम में विश्वास है बल्कि इस कारण करे की वह मुस्लिम विधि के अधीन कुछ लाभों का हक़दार हो जाये |