Rights of Prisoners/गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार (Ch. 5 Crpc)

आज हम जानेंगें की एक गिरफ्तार व्यक्ति के क्या अधिकार/ Rights of Prisoners होते है | एक अच्छा देश वही होता है जो अपने देश के कैदियों को भी अधिकार देता है | ऐसे ही हमारे देश भारत में और भारत के कानूनों में जेल में बंद कैदियों के भी कुछ अधिकार है, जिनके बारे में आज हम जानेंगें | ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि हर व्यक्ति चाहे वह अपराधी हो या एक अच्छा व्यक्ति उसके जीने के लिए के लिए कुछ अधिकार दिए जाना जरुरी है | चलिए जानते है कैदियों के अधिकार के बारे में :-

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गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार (Rights of Prisoners) :-

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के पास निम्नलिखित अधिकार होते हैं :-

1) अनावश्यक अवरोध न करने का अधिकार :-{धारा 49}

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उससे अधिक अवरूद्ध न किया जाएगा जितना उसको निकल भागने से रोकने के लिए आवश्यक है अर्थात् दूसरे शब्दों में कहे तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अनावश्यक रूप से निरूद्ध नही रखा जाएगा।

2) यथाशीघ्र गिरफ्तारी के आधार बताए जाने का अधिकार और जमानत से सम्बंधित बाते जानने का अधिकार :-
{धारा 50 सपठित अनुच्छेद 22(1) भारतीय संविधान}

यह गिरफ्तार व्यक्ति का विधिक अधिकार भी है तथा उसका मौलिक अधिकार भी है कि उसे यह बताया जाए कि उसे क्यों और किन आधारों पर गिरफ्तार किया गया है और यदि उसके द्वारा कोई जमानतीय अपराध कारित किया गया है तो उसे इस बात की सूचना दी जाए कि वह जमानत लेने का हादार है और वह अपनी तरफ से प्रतिभूओं का इंतजाम करे।

3) अपनी पसंद के विधि व्यवसायी से परामर्श करने तथा उसके माध्यम से प्रतिरक्षा करने का अधिकार :-{अनुच्छेद 22(1) सपठित धारा 303 दण्ड प्रक्रिया संहिता}

जो व्यक्ति दण्ड न्यायालय के समक्ष अपराध के लिए अभियुक्त हो या जिसके विरूद्ध इस संहिता के अधीन कोई कार्यवाही संस्थित की गई हो, उसका यह अधिकार होगा कि इसकी पसंद के प्लीडर द्वारा उसकी प्रतिरक्षा की जाए।

हुस्न आरा खातून बनाम गृह सचिव, बिहार राज्य, 1959 उच्चतम न्यायालय

अभिनिर्धारित :- इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्धारित किया की प्रत्येक सिद्धदोष व्यक्ति, जो निर्धनता या किसी अन्य कारण से अपने बचाव के लिए अधिवक्ता नहीं नियुक्त कर सकता है उसे निःशुल्क विधिक सहायता पाने का संवैधानिक अधिकार है | यदि उक्त परिस्थितियों में निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान नही की जाती है तो अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होने के कारण परिक्षण अवैध हो जाएगा |

4) पुलिस अधिकारी द्वारा पुछताछ के दौरीन अपनी पसंद के किसी भी अधिवक्ता से मिलने का अधिकार :- {धारा 41-D}

जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और पुलिस द्वारा उससे पुछताछ की जाती है, तब वह पुछताछ के दौरान अपनी पसंद के अधिवक्ता से मिलने के प्राधिकृत है।

5) गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घण्टे के भीतर निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए जाने का अधिकार :-{धारा 57 सपठित अनुच्छेद 22(2)}

गिरफ्तार व्यक्ति का यह अधिकार होता है कि उसे 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।

6) मजिस्ट्रेट के प्राधिकार के बिना 24 घंटे से अधिक निरूद्ध रखने के विरूद्ध अधिकार :-{धारा 76 दण्ड प्रक्रिया संहिता सपठित अनुच्छेद 22(2)}

जब किसी व्यक्ति को वारण्ट के अधीन गिरफ्तार किया जाता है तब उसका यह अधिकार होता है कि उसे 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाए।

Note :- धारा 57 बिना वारण्ट के गिरफ्तारी के बारे में उपबंध करती है। जबकि धारा 76 वारण्ट के अधीन गिरफ्तारी के बारे में।

7) निःशुल्क विधिक सहायता का अधिकार :- {धारा 304 दण्ड प्रक्रिया संहिता सपठित अनुच्छेद 39-A भारतीय संविधान}

गिरफ्तार व्यक्ति का यह अधिकार होता है कि उसे निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान की जाए।

8) विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के सिवाय निजी स्वतंत्रता से वंचित न किए जाने का अधिकार :- {अनुच्छेद 21)

गिरफ्तार व्यक्ति का यह मौलिक अधिकार है उसकी स्वतंत्रता को केवल विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया से ही छीना जाए अन्यथा नही।

9) विधि के अनुसार तथा शालीनता के साथ तलाशी लिए जाने का अधिकार :-{धारा 51}

गिरफ्तार व्यक्ति का यह अधिकार है कि उसकी तलाशी विधि के अनुसार तथा पूरी शालीनता से ली जाए।

10) स्वास्थ्य एवंम् सुरक्षा की युक्तियुक्त देख-रेख रखे जाने का अधिकार :- {धारा 55-अ}

किसी अभियुक्त की अभिरक्षा रखने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह अभियुक्त के स्वास्थ्य एवंम् सुरक्षा की युक्तियुक्त देख रेख करे।

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