आज हम जानेंगे धारा 10 भारतीय साक्ष्य अधिनियम/Indian Evidence Act Sec 11 के बारे में जो इसे तथ्यों की सुसंगति के बारे में उपबंधित करती है जो तथ्य अन्यथा सुसंगत नही होते है इसका सबसे बड़ा उदहारण है अन्यत्र उपस्थिति का अभिवाक | Indian Evidence Act in Hindi
वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं है कब सुसंगत है :- (Indian Evidence Act Sec 11)
धारा 11 धारा 11 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं है सुसंगत होंगे |
- यदि किसी विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य से असंगत है |
- यदि वे स्वमेव या अन्य तथ्यों के संसर्ग में किसी विधायक तथ्य के आस्तित्व या अनस्तित्व को अत्यंत अधिसंभाव्य या अनधिसंभाव्य बनाते है |
यह धारा ऐसे तथ्यों की सुसगति के बारे में बताती है जो कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 6-55 तक तो किसी धारा के अंतर्गत सुसंगत हो जाते है |
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वैसे तो उनका सम्बन्ध विधायक तथ्यों या सुसंगत तथ्यों से नहीं होता है लेकिन फिर भी वह सुसंगत हो जाते है भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत यह धारा इसलिए जोड़ी गई क्योकि धारा 5 यह उपबंधित करती है कि साक्ष्य हमेशा या तो विधायक तथ्यों का दिया जा सकता है या सुसंगत तथ्यों का |
वे तथ्य जो साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत सुसंगत माने गये है उनका प्रावधान 6-55 में किया गया है और जिन तथ्यों की बात धारा 11 के अंतर्गत की जारी रही है वे धारा 6 से 55 की परिधि में नहीं आते है लेकिन किसी भी मामले के लिए बहुत आवश्यक हो सकते है इसलिए साक्ष्य धारा 11 भारतीय साक्ष्य अधिनियम जोड़कर उन तथ्यों की सुसंगति निर्धारित की गई है |
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यह तथ्य किसी मामले के लिए बहुत आवश्यक हो सकते है ऐसा इसलिए कहा गया क्योकि मान लीजिये A एक व्यक्ति है जिस पर यह आरोप है कि उसने B की आगरा में हत्या की है किन्तु A यह अभिकथन करता है कि जिस दिन हत्या हुई वह आगरा में न होकर बैगलोर में था |
अब A का यह कथन कि वह आगरा में न होकर बैंगलोर में था | इसका विधायक तथ्यों से कोई सम्बन्ध नहीं है और इस तथ्य की सुसंगति के बारे में कहीं बताया भी नहीं गया है देखने से तो यह प्रतीत हो रहा है कि यह कथन मामले से बिल्कुल सम्बन्ध नहीं रखता या असंगत है |
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किन्तु फिर भी यह कथन सुसंगत है क्योकि एक व्यक्ति एक ही समय में दो जगह नहीं हो सकता है और यह तथ्य या कथन विधायक तथ्य के अनस्तित्व को इतना अनधिसंभाव्य बना रहा है कि एक ही समय दो जगह कैसे हो सकता है इसलिए यह तथ्य धारा 11 भारतीय साक्ष्य अधिनियम1 के अंतर्गत सुसंगत है |
धारा 11 भारतीय साक्ष्य अधिनियम दो प्रकार के तथ्यों की सुसंगति के बारे में उपबंध करती है :-
1. विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य से असंगत तथ्य
प्रथम नियम यह है कि वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत {अर्थात 6-55 तक सुसंगत} नहीं है सुसंगत हो जाते है यदि वे विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य से असंगत हो |
एक तथ्य का दूसरे तथ्य से असंगत होना तब कहा जाता है जब उन दोनों तथ्यो का एक साथ अस्तित्व नहीं हो सकता है अर्थात अगर किसी पक्षकार द्वारा एक तथ्य का अस्तित्व साबित कर दिया जाता है तो दूसरे तथ्य का अनस्तित्व माना जाता है |
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जैसे एक व्यक्ति यह कहता है कि जिस दिन अपराध हुआ में उस अपराध स्थल पर न होकर किसी दूसरे स्थान पर था अगर वह पक्षकार यह साबित कर देता है कि अब अपराध स्थल पर न होकर दूसरे स्थान पर था तो इससे यह प्रतीत हो रहा है कि उसने अपराध नहीं किया क्योकि एक व्यक्ति एक ही समय में दो जगह नहीं हो सकता | इस मामले में भी एक तथ्य का अस्तित्व साबित किया और दूसरा तथ्य स्वतः अनस्तित्व में आ गया |
निम्न पांच प्रकार के मामले इसके अधीन आते है :-
a अन्यत्र उपस्थित का अभिवाक अर्थात अपराध किये जाने के समय अभियुक्त का घटना स्थल से भिन्न स्थान पर उपस्थित होना |
b कोई व्यक्ति जिसके बारे में यह कहा गया है कि वह मृत है उसके जीवित होने का साक्ष्य अर्थात अगर कोई पक्षकार यह बोल रहा है कोई व्यक्ति मृत है औअर दूसरा उसके जीवित होने का साक्ष्य दे देता है तो दूसरा तथ्य स्वतः अनस्तित्व हो जायेगा |
c संतान की अधर्मता दर्शित करने हेतु पति का पत्नी के पास पहुँच का आभाव अर्थात कोई व्यक्ति यह साक्ष्य दे रहा है कि जिस समय यह संतान उस स्त्री की गर्भ में आई उस समय हमारी आपसी पहुँच इतनी नहीं थी कि वह संतान उस स्त्री के गर्भ में आती {धारा ११२ भारतीय साक्ष्य अधिनियम}
d किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपराध का किया जाना अर्थात पक्षकार द्वारा यह खा जा रहा है कि जिस अपराध का आरोप उस पर लगाया गया है वह अपराध उसने नहीं बल्कि दुसरे व्यक्ति द्वारा किया गया है |
e स्वयं को शारीरिक क्षति पहुँचाना अर्थात अगर पक्षकार यह साबित कर दे कि विपक्षी पक्षकार ने स्वयं को शारीरिक क्षति पहुंचा कर मुझे फसाया है |
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धारा 11 का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है यह धरा विधायक तथ्यों या सुसंगत तथ्यों से असंगतता या अधिसंभाव्यता दर्शित करने वाले तथ्यों की सुसंगति पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाती है अर्थात कोई भी तथ्य जो उचित या युक्त तर्क के कारण किसी दूसरे तथ्य से सम्बंधित बताया जा सके जिसका मामले के तथ्य पर कोई प्रभाव हो उसे इस धारा के अंतर्गत सुसंगत माना जा सकता है |
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इस विषय को {कि कौन सा तथ्य सुसंगत होगा} यह धारा पूर्ण रूप से न्यायालय के विवेक पर छोड़ दी गई है | कोई तथ्य असंगत तथ्य है या नहीं यह तथ्य एवं परिस्थितियों का प्रश्न है |
असंगतता की मात्रा सदैव निश्चित या स्थिर नही होती है अर्थात यह बता पाना कि कौन सा तथ्य कितना असंगत है एक ममुश्किल काम है |
यह प्रत्येक मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है यही बात अधिसंभाव्यता {अर्थात इस धारा का दूसरा नियम} से जुड़े तथ्यों के संदर्भ में बी सत्य है |
अन्यत्र उपस्थिति का अभिवाक (Plea of alibi)
अभियुक्त का अपराध किये जाने के समय अन्य स्थल पर विधमान रहने का साक्ष्य अन्यत्र उपस्थित का अभिवाक कहा जाता है |
यदि कोई अपराध किया गया है और अभियोजन यह दर्शित करता है कि अभियुक्त ने ही उस अपराध को किया है तो ऐसी दशा में अभियुक्त अपराध के समय अपनी अन्यत्र उपस्थिति साबित कर सकता है |
इस प्रकार का अभिवाक अन्यत्र उपस्थित का अभिवाक कहा जाता है |
विधायक तथ्य या अन्यत्र तथ्यों से असंगता दर्शित करने के कारण अन्यत्र उपस्थित का अभिवाक धारा 11 के अंतर्गत सुसंगत है अर्थात अन्यत्र उपस्थित का अभिवाक विधायक तथ्यों या अन्य तथ्यों से असंगत दर्शित करता है |
घटना स्थल से अन्यत्र उपस्थित का अभिवाक को अभियुक्त को ही साबित करना होना है उसे निश्चतता तक यह साबित करना होता है की अन्यत्र उपस्थित होने के कारण घटना स्थल पर उसकी उपस्थिति भौतिक रूप से असंभव थी |
सखा राम बनाम मध्यप्रदेश राज्य, 1992, उच्चतम न्यायालय
अभिनिर्धारित :- अन्यत्र उपस्थिति के अभिवाक को साबित करने में अभियुक्त के विफल हो जाने से यह साबित नहीं होता है कि वह अपराध स्थल पर उपस्थित था | उसके इस इस प्रकार विफल हो जाने पर यह उपधारणा नहीं की जा सकती है कि वह दोषी है उसके दोष को अभियुक्त संदेह से परेह साबित करने का भर अभियोजन पर बना रहता है |
धारा 11 का द्रष्टान्त (क) अन्यत्र उपस्थित के अभिवाक पर आधारित है :-
द्रष्टान्त (क)
प्रश्न यह है कि क्या A ने किसी अमुक दिन कलकत्ते में अपराध किया |
यह त्तथ्य कि वह उस दिन लाहौर में था, धारा 11 के अंतर्गत सुसंगत है |
यह तथ्य कि जब अपराध किया गया था, तब A घटना स्थल से इतनी दूरी पर था कि A द्वारा अपराध करना असंभव नहीं टीओ इतना अनधिसंभाव्य {अर्थात ऐसा होने की सम्भावनाए बहुत कम}
था कि A वह अपराध कर ही नहीं सकता था यह तथ्य सुसंगत तथ्य है |
2.अत्यंत अधिसंभाव्यता या अनधिसम्भाव्यता दर्शित करने वाले तथ्य
ऐसे प्रत्येक तथ्य का साक्ष्य दिया जा सकता है जो खुद व् खुद या अन्य तथ्यों के साथ मिलकर विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्यो को या तो अत्यंत अधिसंभाव्य बनाये या तो अत्यंत अनधिसम्भाव्य कई मामलो में विशेष तौर पर ऐसे मामलो में जिनका प्रत्यक्ष होना कठिन होता है न्यायालय को संभावनाओ या परिस्थितयो के आधार पर काम करना पड़ता है |
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उदहारण के लिए जब किसी कमरे में पांच व्यक्ति हो जिनमे से एक की हत्या हो जाए और परिस्थितिया यह इंगित करती हो कि हत्या उन्ही में से किसी ने की है |
प्रत्येक ऐसा तथ्य सुसंगत होगा जो यह दर्शित करे कि उनमे से किस व्यक्ति ने ऐसा किया होगा या नहीं
यदि किसी व्यक्ति को छल करने के लिए अभियोजित किया जाता है तो इस तथ्य का साक्ष्य दिया जा सकता है कि वह छल करने के अभ्यस्थ एक गिरोह का सदस्य है क्योकि यह तथ्य उसके दद्वारा अपराध किये जाने को संभाव्य बनता है |
इस बात को समझने के लिए धारा 11 के द्रष्टान्त (ख़) का संदर्भ लिया जा सकता है :-
द्रष्टान्त (ख)
प्रश्न यह है कि क्या A ने अपराध किया है |
परिस्थितियाँ यह दर्शित करती है कि वह अपराध A,B,C या D में से किसी एक के द्वारा अवश्य किया गया होगा |
हर तथ्य सुसंगत होगा जो यह दर्शित करे कि ऐसा अपराध A के आलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कारित नहीं किया जा सकता था और वह B,C था D में से किसी के द्वारा नहीं किया गया था |
क्योकि यह तथ्य यह दर्शित कर रहे कि वह अपराध A के आलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता था और यह विधायक तथ्य के अस्तित्व को अधिसंभाव्य बना रहे कि अपराध A द्वारा ही किया गया है |