आज हम जानेंगे धारा 10 भारतीय साक्ष्य अधिनियम/Indian Evidence Act Sec 10 के बारे में सामान्य परिकल्पना के बारे में षडयंत्रकारी द्वारा कहे या की गई बातों की सुसंगता से सम्बंधित नियमो के बारे में बताती है |
सामान्य परिकल्पना के बारे में षडयंत्रकारी द्वारा कही या की गई बातें :- (indian Evidence Act Sec 10)
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 10 सामान्य परिकल्पना के बारे में षडयंत्रकारी द्वारा कहे या की गई बातों की सुसंगता का प्रबंध करती है |
धारा 10 के अंतर्गत सुसंगता की आवश्यक शर्ते निम्नवत है :-
1. यह विश्वास करने का युक्तियुक्त आधार होना चाहिए कि दो या दो से अधिक व्यक्तियो ने कोई अपराध करने का षडयंत्र किया है या अनुयोज्य दोष {अर्थात यह अपकृत्य होता है जिसमे न्यायालय द्वारा उपचार के नाम पर क्षतिपूर्ति आदि दी जाती है जैसे की संविदा भंग, मानहानि इसे सिविल उपकार (civil favour) भी कह सकते है} करने के लिए मिलकर षडयंत्र किया हो |
2. ऐसे व्यक्तियों में से किसी एक व्यक्ति के द्वारा उस समय के पश्चात उस समय जब उन्होंने षडयंत्र करने का आशय प्रथम बार मन में धारण किया था, कुछ कहा, किया या लिखा गया होना चाहिए | तब इस प्रकार जो कुछ कहा, किया या लिखा गया है वह उनके सामान्य आशय के संदर्भ में होना चाहिए |
दूसरे शव्दों में कहे तो जबड़ो या दो से अधिक व्यक्तियों के मन में कोई अपराध या अनुयोज्य दोष के षडयंत्र करने का आशय प्रथम बार मन में आया हो तो उनमे से किसी एक व्यक्ति द्वारा कुछ लिखा हो, किया हो या कहा हो और ऐसा लिखना, करना या बोलना उनके सामान्य आशय के संदर्भ में होना चाहिए |
उपरोक्त शर्तो के संतुष्ट हो जाने पर जो कुछ कहा, किया या लिखा गया है उसका साक्ष्य निम्न दो प्रयोजनों हेतु दिया जा सकता है |
a षडयंत्र का अस्तित्व साबित करने के लिए तथा
b यह दर्शित करने के लिए कि कोई व्यक्ति षडयंत्र का पक्षकार था
षडयंत्र
षडयंत्र कोई अवैध कार्य या अवैध साधनों द्वारा कोई वैध कार्य करने का एक करार है षडयंत्र एक अपराध और अपकृत्य { सिविल उपकार (civil favour) जैसे मानहानि, संविदा भंग } दोनों है |
साक्ष्य अधिनियम की धारा 10 दोनों प्रकार के षडयंत्रो पर लागू करने के लिए केवल यह साबित करने की आवश्यकता होती है कि मामला प्रथम द्रष्टया षडयंत्र का है अर्थात मामलो के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखकर ही यह लगता है कि मामलो में षडयंत्र रचा गया है |
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ऐसा इसलिए क्योकि धारा में स्पष्ट रूप से कह दिया गया है कि यह धारा तभी लागू होती है जब यह विश्वास करने का कारण हो कि कोई अपराध या अपकृत्य करने का षडयंत्र `रचा गया है या किया गया है |
आर बनाम ब्लैक एंड टाई, 1844
अभिनिर्धारित :- इस मामले में प्रतिपादित सिध्दांत को भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 10 में अंगीकृत किया गया है | इस मामले में यह अभिनिर्धारित किया गया कि षडयंत्र कर्ता का कोई कृत्य अन्य षडयंत्रकर्ताओ के विरुध्द केवल तभी सुसंगत होगा जबकि वह कृत्य षडयंत्र को पूर्ण करने के लिए किया गया हो | ऐसा कृत्य उनके सामान्य आशय के अग्रसरण में होना चाहिए |
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अर्थात इस वाद में यह कहा गया है कि एक षडयंत्रकर्ता का कृत्य दूसरे षडयंत्रकर्ताओ के विरुध्द केवल तभी सुसंगत होगा जब वह कृत्य {जो षडयंत्रकर्ता द्वारा किया गया था} षडयंत्र को पूरा करने के लिए किया गया हो |
मान लीजिये A और B दोनों मिलकर एक षडयंत्र को पूरा करते है कि C को मारेंगे | दोनों C को मरने के लिए यह षडयंत्र करते है कि A,C को एक स्थान पर लेकर आएगा जहाँ हम उसे विष देकर मार देंगे |
विष खरीदने का काम B का था | अब अगर A,C को उस स्थान पर ले आता है जहाँ C को विष दिया जाना था और B विष लेकर आ जाता है | तो A द्वारा किया गया कृत्य {C को उस स्थान पर लाना} B के विरुध्द सुसंगत है और B द्वारा किया गया कृत्य A के विरुध्द सुसंगत है क्योकि दोनों ने ही अपने-अपने काम षडयंत्र को पूरा करने के लिए किये है और अपने सामान्य आशय के अग्रसरण में किये है |
मिर्जा अकबर बनाम एम्परर 1940 P.C.
के मामले में तथा
शार्दुल सिंह बनाम बम्बई राज्य 1957 ई०
के मामले में उच्चतम न्यायालय ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 10 के प्रयोजनों हेतु आर बनाम ब्लैक एंड टाई के मामले में प्रतिपादित सिध्दांत को मान्यता दे दी |
अतः यह कह सकते है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 10 आर बनाम ब्लैक एंड टाई के मामले में जो न्यायालय ने जो सिध्दांत प्रतिपादित किया था इसी सिध्दांत पर आधारित है |
भगबान स्वरूप बनाम महाराष्ट्र राज्य 1965 ई०
अभिनिर्धारित :- षड्यंत्रकारी के कृत्यो या कथनों का प्रयोग केवल षड्यंत्र के आस्तित्व को साबित करने के लिए तथा यह दर्शित करने के लिए किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति षडयंत्र का पक्षकार था | इस धारा का प्रयोग यह दर्शित करने के लिए नहीं किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति षडयंत्र का पक्षकार नहीं था |
धारा 10 के साथ एक द्रष्टान्त संलग्न है | धारा 10 को समझने हेतु इस द्रष्टान्त का संदर्भ लिया जा सकता है |
यह विश्वास करने का युक्तियुक्त आधार है कि A भारत सरकार के विरुध्द युध्द करने के षडयंत्र में सम्मिलित हुआ है |
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इस प्रयोजनों हेतु निम्न तथ्य सुसंगत है :-
1. B ने षडयंत्र के पूरा होने के प्रयोजनों हेतु यूरोप से हथियार प्राप्त किये |
2. C ने भी षडयंत्र के पूरा होने के उद्देश्य से कलकत्ते में धन संग्रह किया |
3. D ने षडयंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई में लोगो को उत्प्रेरित किया |
4. E ने आगरा में उस षडयंत्र के पक्ष में लेख प्रकाशित किया |
5. C ने जो धन कलकत्ते में इकट्टा किया था उस धन को F ने G के पास काबुल भेजा |
6. H द्वारा एक पत्र लिखा गया जिसमे इउस पुरे अपराध को करने के लिए जो षडयंत्र बनाया था उसके बारे में लिखा था तथा A की उसमे क्या भागीदारी थी वह भी लिखी थी |
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यह सारे तथ्य धारा 10 के अंतर्गत सुसंगत है चाहे A,B,C,D,E,F,G और H में से किसी को भी नहीं जनता हो और चाहे वह षडयंत्र A के इन लोगो के साथ जुड़ने स एपहले रचा गया हो या A के जुड़ने के बाद | यह सरे तथ्य सुसंगत होंगे यह दर्शित करने के लिए A षडयंत्र का हिस्सा था |