Iddat/Iddah/इद्दत का शाब्दिक अर्थ है “गणना करना”| यह वह अवधि है जिसके दौरान कोई, विवाह विच्छेदित मुस्लिम स्त्री या ऐसी मुस्लिम स्त्री जिसने विवाह विच्छेदित की डिक्री प्राप्त कर ली है या कोई मुस्लिम विधवा, पुनः विवाह नही कर सकती है | Muslim law in Hindi
यह कोई दंड नही है | इसका सामाजिक एवंम विधिक महत्त्व है | इसका उद्देश्य यह निश्चित करना है की स्त्री अपने पूर्व पति से गर्भवती है या नही | जिससे की उसके गर्भ में स्थित संतान/शिशु की पैतृकता के बारे में कोई भ्रम उत्पन्न न हो (अर्थात वह किस व्यक्ति की संतान है इस बारे में कोई भ्रम न पैदा हो) |
इद्दत की अवधि पति की मृत्यु या विवाह-विच्छेद की तिथि से प्रारम्भ होती है न की उस तिथि से जब स्त्री पति की म्रत्यु या विवाह विच्छेद के बारे में सुचना प्राप्त करती है | यदि वह निर्दिष्ट अवधि के अवसान के पश्चात् ऐसी सूचना प्राप्त करती है तो उसके लिए इद्दत का पालन करना आवयश्क नही होता है |
इद्दत/Iddat की अवधि :-
इद्दत की अवधि प्रत्येक दशा में अलग अलग होती है, अर्थात प्रत्येक महिला के लिए एक ही अवधि नही है | ये दशाएं निम्नवत है :-
1. विधिमान्य विवाह की दशा में :-
प्रथम दशा है जब किसी महिला का विवाह विधिमान्य हो तब इद्दत की अवधि कितनी होगी | किन्तु इसमें भी 2 दशाएं होती है जब महिला को इद्दत गुजारनी होती है | जो की निम्नवत है :-
i. विवाह विच्छेद की दशा में
ii. पति की मृत्यु की दशा में :-
i. विवाह विच्छेद की दशा में :-
a.यदि पत्नी मासिक धर्म(पीरियड्स) के अधीन हो अर्थात उसे मासिक धर्म होते हो तो इद्दत की अवधि 3 मासिक धर्म होती है |
b.यदि पत्नी मासिक धर्म के अधीन न हो अर्थात उसे मासिक धर्म होना बंद हो गये हो तो इद्दत की अवधि 3 चंद्रमास होती है |
c.यदि पत्नी विवाह-विच्छेद के समय गर्भवती हो तो संतान के जन्म लेने तक या गर्भपात होने तक उसको इद्दत की अवधि का पालन करना होता है |
d.यदि विवाह पूर्णावस्था को प्राप्त नही हुआ है अर्थात उनके बीच सहवास नही हुआ हो तो वह इद्दत की अवधि का पालन करने हेतु आबद्ध नही होती है |
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ii. पति की मृत्यु की दशा में :-
विधवा को 4 माह 10 दिन की इद्दत की अवधि का पालन करना होता है | यदि विधवा अपने पति की मृत्यु के समय गर्भवती है तो इद्दत की अवधि संतान के जन्म लेने तक या गर्भपात हो जाने तक जारी रहता है |
विधवा इद्दत/iddat की अवधि का पालन करने के लिए आबद्ध होती है | फिर चाहे विवाह पूर्णावस्था को प्राप्त हुआ हो या नहीं अर्थात विधवा की दशा में इस बात का कोई महत्व नही है की पत्नी और मृत पति के बीच मृत्यु से पूर्व सहवास हुआ है या नही |
यदि पत्नी द्वारा विवाह विच्छेद की इद्दत की अवधि का पालन करने के दौरान उसके पति की मृत्यु हो जाती है तो पति की मृत्यु की तिथि से विधवा द्वारा मृत्यु की एक नयी इद्दत की अवधि का पालन किया जाता है |
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2. अनिमियत विवाह की दशा में :-
अनिमियत विवाह की दशा में इद्दत की अवधि 3 मासिक धर्म या 3 चंद्रमास होती है | फिर चाहे विवाह विघटन पृथक्करण द्वारा हुआ हो या पति की मृत्यु द्वारा |
यदि विवाह पूर्णावस्था को प्राप्त नही हुआ है अर्थात उनके बीच सहवास नही हुआ हो तो पत्नी इद्दत की अवधि का पालन करने के लिए आबद्ध नही होती है |
इद्दत की अवधि में अधिकार और कर्तव्य
इद्दत की अवधि में निम्नलिखित अधिकार एवंम कर्तव्य उत्पन्न होते है :-
- यदि पत्नी इद्दत व्यतीत कर रही है तो इद्दत की में उसके निर्वाह के लिए पति उत्तरदायी होगा |
- अपनी इद्दत के पूरी होने तक पत्नी दुसरे पुरुष से विवाह नही कर सकती है और यदि तलाक दी गई पत्नी को मिलकर पति को चार पत्नियाँ है तो तलाक दी गई स्त्री की इद्दत की अवधि पूरी होने तक पति किसी पांचवी पत्नी से विवाह नही कर सकता है |
- पत्नी मुवज्ज्ल मेहर की हकदार हो जाती है और यदि मुवज्ज्ल मेहर का भुगतान नही किया गया है तो वह तुरंत डे हो जाता है |
- इद्दत की अवधि समाप्त होने से पूर्व दम्पति में से किसी की मृत्यु हो जाने पर यदि मृत्यु होने से पहले विवाह विच्छेद अपरिवर्तनीय नही होगा है, तो दूसरा पक्षकार पति-पत्नी के रूप में पत्नी या पति से,जैसी स्थिति हो, सम्पति उत्तराधिकार में पाने का हकदार होगा |
- यदि विवाह विच्छेद मृत्यु रोग में दिया गया हो और पत्नी की इद्दत पूरी होने के पहले पति मर जाए तो यदि उसकी मृत्यु से पहले विवाह विच्छेद अपरिवर्तनीय भी हो गया हो, तो पत्नी पति की सम्पति उत्तराधिकार में पाने की हकदार हो जाती है, बशर्ते विवाह विच्छेद उसकी सहमती से न किया गया हो |
इद्दत की प्रसंगातियाँ :-
1.पत्नी से अपेक्षित होता है की इद्दत काल के दौरान महँगे कपडे, इत्र एवंम अन्य सौन्दर्य प्रसाधनों के प्रयोग से प्रविरत रहकर शोक मनाएगी |
2.इद्दत की अवधि के दौरान पत्नी किसी अन्य व्यक्ति से विवाह नही कर सकेगी |
3.यदि तलाक दी गई पत्नी को मिलाकर पति की 4 पत्नियाँ हो तो तलाक दी गई स्त्री की इद्दत की अवधि पूरी होने तक वह किसी अन्य स्त्री से विवाह नही कर सकेगा |
4.इद्दत की अवधि के दौरान अवैध संयोग द्वारा विवाह पर प्रतिषेध जारी रहता है | अतः ऐसी अवधि के दौरान पति अपनी तलाकशुदा पत्नी की बहिन, भतीजी आदि से विवाह नही कर सकेगा |
5.विवाह विच्छेदित पत्नी इद्दत की अवधि के दौरान अपने पूर्व पति से भरण-पौषण प्राप्त करने की हक़दार हो जाती है |
6.पत्नी स्थगित मेहर की हक़दार हो जाती है और यदि तात्कालिक मेहर का संदाय न किया गया हो तो वह भी तत्काल रूप से संदेय हो जाता है |
7.इद्दत की अवधि समाप्त होने से पूर्व दंपत्ति में से किसी की मृत्यु हो जाने पर दूसरा पक्षकार मृतक की सम्पति को उतराधिकार में प्राप्त करने का हक़दार हो जाता है | बशर्ते विवाह विच्छेद अखंडनीय न हुआ हो |
8.यदि पति द्वारा मृत्यु रोग में तलाक दिया हो एवंम पत्नी की इद्दत पूरी होने से पूर्व पति की मृत्यु हो जाये तो उसकी मृत्यु से पूर्व विवाह विच्छेद अखंडनीय हो जाने पर भी पत्नी पति की संपत्ति उतराधिकार में प्राप्त करने की हक़दार हो जाती है | बशर्ते विवाह विवाह विच्छेद उसकी सहमति से न किया गया हो |