Constitution of India | Article 24 of the Indian Constitution

भारतीय संविधान विश्व का सबसे सर्वश्रेष्ठ संविधान है | एक हमारा भारतीय संविधान ही है जो नागरिको को मान और प्रतिष्ठा के साथ जीने की आजादी देता है | आज हम लोग जानेंगे भारतीय संविधान के article 24 in hindi |

कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध {Article 24 of the Indian Constitution}

Article 24 of the Indian Constitution चौदह वर्ष से कम उम्र के बच्चो को किसी कारखाने या अन्य संकट वाले काम को करने से रोकता है | अनुच्छेद 24 का उद्देश्य स्वास्थ्य एवंम बालकों के जीवन की सुरक्षा करना है | बालकों को देश की पूंजी माना जाता है और ये देश का भविष्य होते है अगर ये ठीक होंगे तो देश भी आगे बढेगा इसीलिए अनुच्छेद 24 यह प्रावधान करता है की आर्थिक समस्यों के कारण बालको को ऐसे कामो में न लगना पड़े जो की उनकी आयु एवंम शक्ति से तालमेल ना रखते हों |

Article 24 of the Indian Constitution के संबध में उच्चतम न्यायालय के कुछ महत्वपूर्ण निर्णय :-

उच्चतम न्यायालय के महत्वपूर्ण एवंम ऐतिहासिक निर्णय कुछ इस प्रकार हैं :-

पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स बनाम भारत संघ, 1983 सु.को.

अभिनिर्धारित :- निर्माण कार्य संकट वाला कार्य है इसलिए 14 वर्ष से कम आय वाले किसी बच्चे को ऐसे कार्य में नियोजित नही किया जाना चाहिए |

लेबरर्स वर्किंग आन सलाल हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य, 1984 सु.को.

अभिनिर्धारित : इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स बनाम भारत संघ के मामले में जो निर्णय दिया था उसको पुष्ट किया और कहा की निर्माण कार्य संकट वाला कार्य है इसलिए 14 वर्ष से कम आय वाले किसी बच्चे को ऐसे कार्य में नियोजित नही किया जाना चाहिए |

Article 24 in Hindi
Article 24 in Hindi

एम. सी. मेहता बनाम भारत संघ, 1996, सु.को.

अभिनिर्धारित :- यह उच्चतम न्यायालय का एक ऐतिहासिक मामला है और इसमें कहा गया है की 14 वर्ष से कम उम्र के बालको को किसी कारखाने या खान या अन्य संकटपूर्ण कार्यों में नियोजित नही किया जा सकता है |

इस मामले में एक सार्वजानिक कार्यकर्त्ता और मशहूर अधिवक्ता श्री एम.सी.मेहता ने लोकहित वाद (पी.आई.एल.) फाइल की और न्यायालय का ध्यान तमिलनाडु राज्य के शिवकाशी में पटाखों के कारखानों में हजारो की संख्यां में काम कर रहे 14 वर्ष से कम उम्र के बालको की दयनीय स्थिति की तरफ ध्यान आकर्षित किया और कहा की न्यायालय बालको की भलाई और कल्याण के लिए बनाये गये विभिन्न अधिनियमों के किर्यान्वयन के लिए (लागु करने के लिए ) सरकार को दिशा निर्देश दे |

इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने लोक एवंम निजी विभागों में अवैध रूप से कार्यरत बालकों के आर्थिक, सामाजिक एवंम मानवीय अधिकारों के संरक्षण हेतु राज्य प्राधिकारियों के मार्ग दर्शन हेतु निम्न सिद्धांत प्रतिपादित किये | जो की निम्न प्रकार है :-

(1) न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि राज्य द्वारा एक चाइल्ड लेबर रिहैबीलिटेशन बेलफेयर फण्ड की स्थापना किया जाए जिसमें नियोजक प्रति बालक के लिए 20,000 रुपये प्रतिकर के रूप में जमा करेगा और इन पैसों का प्रयोग बच्चों के पुनर्वास के लिए किया जाए।

(2) नियोजक का दायित्व बच्चों को काम से मुक्त करने के बाद समाप्त नहीं होगा, बल्कि न्यायालय ने सरकार को यह निदेश दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि बच्चे के परिवार के एक वयस्क को कारखाने या उसके बदले अन्य कही स्थान पर नौकरी दी जाए।

(3 जहाँ कहीं ऐसा वैकल्पिक काम देना सम्भव नहीं है तो वहाँ समुचित सरकार अपने अंशदान के रूप में बाल कल्याण कोष में हर बच्चे के खाते में जहाँ वह काम करता है, 5000 रुपये जमा करेगी।

(4) बयस्क व्यक्ति को काम पाने पर बालक को काम से हटा दिया जाएगा । यदि वयस्क को काम नहीं मिलता है तो भी बच्चे के संरक्षक को यह देखना होगा कि वह काम से मुक्त करके बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेजे और 25,000 रुपये की रकम पर मिलने वाले ब्याज से बच्चे की शिक्षा का खर्च 14 वर्ष की आयु तक चलाये।

(5) केन्द्रीय सरकार की बालक श्रम नीति के अनुसार न्यायालय ने 9 कारखानों को निर्दिष्ट किया या 9 कारखानों के बारे में बताया, जहाँ इन निर्देशों को सबसे पहले लागू किया जाना चाहिए, वे हैं- शिवकासी मैच फैक्टरी तमिलनाडु, हीरे तराशने के गुजरात के कारखाने, फिरोजाबाद के शीशे के कारखाने, मुरादाबाद के ताँबे के बर्तन बनाने के कारखाने, मिर्जापुर-भदोही के कालीन के कारखाने, अलीगढ़ के ताला बनाने के कारखाने, स्टेट कारखाना मनकापुर, और मण्डसौर।

(6) उक्त रकम जिले में रखी जायेगी और जिलाधीश इन्सपेक्टरों के कार्य पर निगरानी रखेगा। इसके लिए समुचित सरकार श्रम विभाग में एक पृथक् सेल की स्थापना करेगी।

(7) न्यायालय ने श्रम मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वे एक मास के अन्दर उपर्युक्त निर्देशों के पालन किए जाने के सम्बन्ध में शपथपत्र न्यायालय में फाइल करे।

(8) जहाँ तक ऐसे कारखानों का प्रश्न है जहाँ बच्चो के लिए कोई खतरा नही है वहाँ, न्यायालय ने निर्देश दिया कि सरकारें यह देखें कि बच्चो के कार्य की अवधि 4 से 6 घंटे से अधिक न हो और वे प्रत्येक दिन 2 घण्टे शिक्षा प्राप्त करें। शिक्षा का पूरा व्यय नियोजक वहन करेगा।

न्यायालय का उक्त निर्णय स्वागत योग्य है और इसके परिणामस्वरूप बच्चों की स्थिति में सुधार जरुर आएगा है।

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