CRPC | Sec 41 of Criminal Procedure Code

Sec 41 of Criminal Procedure Code में यह उपबंधित करती है कब पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है | संहिता में इस धारा के अलावा भी अन्य धाराओं में यह बताया गया है की कब पुलिस अधिकारी बिना वारंट गिरफ्तार कर सकता है तो इस धारा के साथ उन धाराओं के बारे में भी जानेंगे | यह एक धारा न होकर न्यायिक परीक्षाओं के मुख्य परीक्षाओं का प्रश्न है जिसका उत्तर कैसे लिखना है बताया गया है | (Sec 41 of Criminal Procedure Code in hindi)

पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारण्ट गिरफ्तारी:-(Sec 41 of Criminal Procedure Code)

पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारण्ट गिरफ्तारी
पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारण्ट गिरफ्तारी

1. धारा 2(ग) के अनुसार संज्ञेय अपराध हेतु या संज्ञेय मामले में कोई भी पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकता है।

2. धारा 2(ल) के अनुसार असंज्ञेय अपराध हेतु या असंज्ञेय मामले में कोई भी पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट गिरफ्तारी नही कर सकता है।

धारा 42 crpc6 इसका एक अपवाद है अर्थात् कुछ परिस्थितियों में असंज्ञेय अपराध के मामलों में भी पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकता है।

नाम या निवास स्थान सुनिश्चित करने हेतु पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति को बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकता है-

a) जिसने पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में अंसज्ञेय अपराध किया है या
b) जिस पर असंज्ञेय अपराध किए जाने का आरोप है और जो पुलिस अधिकारी द्वारा माँग किए जाने पर अपना नाम या निवास स्थान बताने से इन्कार करता है या
c) ऐसा नाम या निवास स्थान बताता है जिसके मिथ्या होने का विश्वास करने का कारण है।

3) धारा 41(1)(क) से धारा 41(1)(झ) (Sec 41 of Criminal Procedure Code) में वर्णित आधारों पर पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट के गिरफ्तार कर सकता है। ये आधार निम्नवत् हैः-

a) ऐसा व्यक्ति जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में कोई संज्ञेय अपराध कारित करता है।

b) ऐसा व्यक्ति जिसके विरूद्ध कोई युक्तियुक्त परिवाद किया गया है या विश्वासनीय सूचना प्राप्त हुई है या युक्तियुक्त संदेह है कि उसने जुर्माने सहित या रहित 7 वर्ष तक की अवधि के कारावास से दण्डनीय कोई संज्ञेय अपराध कारित किया है, यदि पुलिस अधिकारी का निम्न शर्तो के प्रति समाधान हो जाता है-

A) यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध कारित किया है तथा

B) ऐसी गिरफ्तारी निम्न प्रयोजनों हेतु आवश्यक है-

i) किसी अग्रेत्तर अपराध को रोकने के लिए,
ii) ऐसे अपराध के उचित अन्वेषण के लिए,
iii) साक्ष्य से छेड़छाड़ को निवारित करने के लिए,
iv) ऐसे व्यक्ति को मामले के तथ्यों से परिचित किसी अन्य व्यक्ति को कोई उत्प्रेरणा, धमकी या वचन देने से निवारित करने के लिए,
v) ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति न्यायालय में सुनिश्चित करने के लिए,


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B-a) ऐसा व्यक्ति जिसके विरूद्ध ऐसी विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई है कि उसने जुर्माने सहित या रहित 7 वर्ष से अधिक अवधि के कारावास या मृत्युदण्ड से दण्डनीय संज्ञेय अपराध कारित किया है और उस सूचना के आधार पर पुलिस अधिकारी को यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध कारित किया है।

c) ऐसा व्यक्ति जिसे अपराधी घोषित किया गया है।

d) ऐसा व्यक्ति जिसके कब्जे से चुराई गई सम्पति चुुराई गई है।

e) ऐसा व्यक्ति जो विधिपूर्ण अभिरक्षा से पलायन कर चुका है या पलायन करने का प्रयत्न करता है या पुलिस अधिकारी के कर्तव्य निर्वाह में बाधा पहुँचाता है,

f) संघ के किसी सशस्त्र बल से भागा हुआ व्यक्ति,

g) किसी ऐसे कृत्य को करने वाला व्यक्ति जो अपराध होता यदि भारत में किया गया होता और उसे उसके लिए भारत में गिरफ्तार किया जा सकता था या ऐसा व्यक्ति जिसके ऐसे कृत्य से सम्बंधित होने के बारे में विश्वसनीय सूचना या युक्तियुक्त परिवाद प्राप्त हुआ हो।

h) अवमुक्त दोषसिद्ध जिसने धारा 356(5) दण्ड प्रक्रिया संहिता के अतंर्गत निर्मित किसी नियम का भंग किया है।

NOTE :- धारा 356 :- पूर्वतन सिद्धदोष अपराधी को अपने पते की सूचना देने का आदेश।

i) ऐसा व्यक्ति जिसकी गिरफ्तारी के लिए ऐसे पुलिस अधिकारी से अध्यपेक्षा प्राप्त हुई है जो कि उसे बिना वाण्रट गिरफ्तार करने के लिए प्राधिकृत है।

4) ऐसा व्यक्ति जिसके विरूद्ध धारा 106 या धारा 117 के अतंर्गत प्रत्याभूति देने का आदेश पारित किया गया है किंतु वह आदेश के अनुपालन में विफल रहा है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। इसी प्रकार ऐसा व्यक्ति जिसनेे प्रत्याभूति तो दे दी है परंतु बंधपत्र के उल्लंघन का दोषी है तो उसे भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
ऐसा व्यक्ति जो प्रत्याभूति देने में विफल रहने के कारण या बंधपत्र के उल्ंलघन का दोषी होने के कारण गिरफ्तार किया गया है और सक्षम प्राधिकारी द्वारा शर्तों का भंग करता है तो रिहाई का आदेश निरस्त किए जाने के बाद पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारण्ट गिरफ्तार किया जा सकता है।{धारा 123(6)}

NOTE :-धारा 106 :- दोषसिद्धि पर परिशांति कायम रखने के लिए प्रतिभूति।
धारा 117:-प्रतिभूति देने का आदेश।

5) पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकता है। यदि उसका यह विचार है कि अन्यथा संज्ञेय अपराध के कारित किए जाने को निवारत करना सम्भव नही है। {धारा 151(1)}

6) राज्य सरकार धारा 432 के अधिन दण्डादेश का सशर्त निलंबन या परिहार कर सकती है। यदि कोई व्यक्ति इन शर्तों का उल्लंघन करता है तो उसे धारा 432(3) दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन बिना वारण्ट गिरफ्तार किया जा सकता है। {धारा 432(3)}

NOTE :- धारा 432 :- समुचित सरकार की दण्डादेश का निलम्बन या परिहार करने की शक्ति।

जोगिन्द्र कुमार बनाम स्टेट ऑफ़ यू.पी., 1994, सुप्रीम कोर्ट

अभिनिर्धारित :- उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि प्रथम सुचना रिपोर्ट का लिखा जाना और अभियुक्त व्यक्ति की गिरफ़्तारी दोनों अलग अलग विषय है | यह कहना सही नही है की केवल प्रथम सुचना रिपोर्ट के लिखे जाने मात्र से आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है |

डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल, 1997, सुप्रीम कोर्ट

अभिनिर्धारित :- उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में गिरफ़्तारी हेतु दिशा निर्देश जारी किये थे :-

  • पुलिस कर्मचारियों को गिरफ़्तारी करते समय अपना पदनाम के साथ सही और स्पष्ट पहचान चिन्हं लगाना चाहिए |
  • गिरफ्तार व्यक्ति अपने मित्र या रिश्तेदार को अपनी गिरफ़्तारी के बारे में सूचित करने का हकदार होगा |
  • उसे अपने गिरफ़्तारी के बारे में किसी को सूचित करने के लिए अपने अधिकार से अवगत होना चाहिए |
  • बंदी को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए |
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