आज हम जानेंगे धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम/Indian Evidence Act Sec 9 के बारे में है जो की सुसंगत तथ्यों के स्पष्टीकरण या पुनः स्थापन सम्बंधित नियमो की सुसंगति से सम्बंधित नियमो के बारे में बताती है |
सुसंगत तथ्यों के स्पष्टीकरण या पुनः स्थापन के लिए आवश्यक तत्व (Indian Evidence Act Sec 9) :-
धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित तथ्य सुसंगत है :-
1. विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य को स्पष्ट करने या पुनः स्थापित करने हेतु आवश्यक तथ्य अर्थात दूसरे शव्दों में कहे तो ऐसे तथ्य जो विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य को स्पष्ट करते है या पुनः स्थापित (इस धारा के प्रयोजनों के लिए पुनः स्थापित का अर्थ है समझना किसी बात को या स्पष्ट करना) करते है वह इस धारा के अंतर्गत सुसंगत है |
इस बात को समझने हेतु धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के निम्न द्रष्टान्तो का संदर्भ लिया जा सकता है :-
द्रष्टान्त (ख)
A द्वारा B पर वाद लाया गया और कहा गया कि B ने उसके ऊपर निष्कृष्ट आचरण का लांछन {अर्थात बहुत बुरे होने का लांछन लगाया} लगाया |
जब अपमान लेख प्रकाशित हुआ था उस समय पक्षकारो के सम्बन्ध कैसे थे इस बात स्पष्ट कर सकते है कि क्या B ने A पर सही में लांछन लगाया है | क्योकि अगर उस समय जिस समय अपमान लेख प्रकाशित हुआ, अगर पक्षकारो के मध्य सम्बन्ध अच्छे नहीं थे तो इससे यह बात स्पष्ट हो रही है कि हो सकता है कि B ने A पर ऐसा लांचन लगाया हो |
द्रष्टान्त (क)
प्रश्न यह है कि कोई विशिष्ट दस्तावेज A की विल है | जिस तारीख को विल तैयार की गई थी उस तारीख को A की संपत्ति या कुटुम्ब की अवस्था देखकर यह स्पष्ट हो जायेगा कि उसके पास इस्तनी संपत्ति थी या उसके कुटुम्ब की स्थिति ऐसी थी कि वह विल बना सके | अतः यह तथ्य इस धारा के अंतर्गत सुसंगत है |
द्रष्टान्त (घ)
B द्वारा C को उत्प्रेरित किया गया कि C , A के साथ की गई संविदा का भंग कर दे | इसलिए A B पर वाद लता है कि B ने C को उत्प्रेरित किया है कि वह संविदा भंग कर दे |
यह तथ्य कि C ने नौकरी छोड़ते समय A से कहा था कि वह नौकरी छोड़ रहा है क्योकि B ने C को एक अच्छी नौकरी देने की प्रस्थापना (Offer ) की है |
C का आचरण जो कि यह स्पष्ट कर रहा है कि हो सकता है कि B ने उसको नौकरी छोड़ने के लिए उत्प्रेरित किया हो, सुसंगत है |
2. विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य द्वारा इंगित अनुमान का समर्थन या खण्डन करने वाले तथ्य | अर्थात ऐसे तथ्य जो इंगित कर रहे कि वह विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य से ससंक्त है लेकिन अगर तथ्यों का समर्थन या खण्डन कर दिया जाता है तो वह इस धारा के अंतर्गत सुसंगत है |
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इस बात को समझने के लिए धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सलंग्न द्रष्टान्त (ग) का संदर्भ लिया जा सकता है |
द्रष्टान्त (ग)
A एक अपराध का अभियुक्त है |
यह तथ्य कि उस अपराध के किये जाने के तुरंत पश्चात् A अपने घर से भाग गया | धारा 8 के अंतर्गत आचरण के रूप में सुसंगत है | क्योकि इससे यह प्रतीत हो रहा है कि हो सकता है कि शायद इसने अपराध किया हो और वह बचने के लिए भाग रहा है |
किन्तु B इस बात को खण्डन करते हुए यह कहता है कि वह अपने घर से भगा नहीं था एक जरुरी कम आने की वजह से वह अपने घर से अर्जेंट चला गया था और उस स्थान पर जहाँ वह गया था वहां जाना बहुत जरुरी और अर्जेंट था B द्वारा कहा गया कथन धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत सुसंगत तथ्य का अनुमान इंगित करने वाले तथ्य का खण्डन कर रहा है |
विधायक तथ्य :- A ने अपराध किया
सुसंगत तथ्य :- A अपने घर से भाग गया
किन्तु A का खण्डन कि वह भगा नहीं था एक अर्जेंट कम आने की वजह से चला गया था धारा 9 के अंतर्गत सुसंगत है |
जिस कम के लिए A गया उसका व्योरा या उसके बारे में बताना सुसंगत नहीं है किन्तु A को यह दर्शित करना होगा कि वह काम बहुत जरुरी था और उसका जाना बहुत अर्जेंट था | जब वह दर्शित कर देगा कि जाना बहुत जरुरी और अर्जेंट था तो वह धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत सुसंगत होगा |
3. ऐसे तथ्य जो किसी व्यक्ति या वस्तु की पहचान (शिनाख्त परेड) स्थापित करते है जिसकी पहचान सुसंगत है |
अर्थात दूसरे शव्दों में कहे तो अगर कोई तथ्य ऐसे तथ्य की पहचान स्थापित करते है जिसकी पहचान मामले में जरुरी है तो वह सुसंगत होंगे |
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शिनाख्त परेड :-
धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत उन तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकता है, जो कि उस व्यक्ति या वस्तु की पहचान स्थापित करते जिसकी पहचान सुसंगत है |
किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के प्रयोजन से शिनाख्त परेड आयोजित की जाती है ऐसी परेड का मुख्य उद्देश्य साक्षी की स्मृति तथा विश्वसनीयता को जांचना तथा यह पता लगाना होता है कि अभियुक्त ने अपराध किये जाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी या नहीं |
दूसरे शव्दों में कहे तो शिनाख्त परेड का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि साक्षी की विस्वसनीयता है या नहीं तथा यह देखना है कि उस मामले में अभियुक्त की सक्रीय भूमिका थी या नहीं अभियुक्त उस अपराध शामिल था या नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में ऐसा कोई स्पष्ट उपबंध नहीं है कि जिसके द्वारा शिनाख्त परेड आयोजित की जानी चाहिए परन्तु शिनाख्त परेड का सदैव मजिस्ट्रेट द्वारा आयोजित किया जाना ज्यादा बेहतर होता है | यधपि उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि शिनाख्त कार्यवाही पंच या निजी व्यक्तियों द्वारा आयोजित की जा सकती है परन्तु ऐसी कार्यवाहियों के दौरान पुलिस अधिकारियो की उपस्थिति पूर्णतः अप्रतिबंधित होनी चाहिये |
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मान लीजिए A एक व्यक्ति जो 12 वर्ष तक लापता रहा और जब वह लौटकर आया तो उसकी पहचान करने के लिए उसकी माँ, पत्नी तथा उसके दोस्तों को बुलाया गया |
उसकी माँ और उसके दोस्तों द्वारा यह कहना है कि हाँ यह वही व्यक्ति है जो लापता है आर्थात वह व्यक्ति A ही है |
परन्तु उसकी पत्नी द्वारा यह काना कि वह उसका पति नहीं है |
यह तीनो ही बयान साक्ष्य में सुसंगत है और जब A की पहचान कराई जा रही थी तो ऐसी पहचान करते वक्त सदैव मजिस्ट्रेट उपस्थित होना चाहिये और पुलिस अधिकारी वहाँ उपस्थित नहीं होने चाहिए अगर यह शर्ते पूरी होती है तो मान लिया जायेगा कि पहचान सही हुई है |
राम नाथ बनाम तमिलनाडु राज्य 1978 ई०
दिल्ली प्रशासन बनाम वी० सी० शुक्ला 1980 ई०
अभिनिर्धारित :- साक्षी द्वारा सीधे न्यायालय में आकर अभियुक्त की पहचान कर लेना महत्वहीन है|
यह आवश्यक है कि पहले मजिस्ट्रेट द्वारा शिनाख्त कार्यवाही की गई हो और उस समय पुलिस अधिकारियो की उपस्थिति वर्जित होनी चाहिए |
अतर सिंह बनाम मध्यप्रदेश राज्य
अभिनिर्धारित :- शिनाख्त कार्यवाही यथासंभव शीघ्रता से आयोजित की जानी चाहिए | ऐसी कार्यवाही आयोजित किये जाने में अयुक्तियुक्त तथा अनावश्यक विलम्ब नहीं होना चाहिए अगर ऐसा होता है तो ऐसी कार्यवाही की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न हो जाता है | परतु ऐसे विलम्ब का युक्तियुक्त तथा पर्याप्त कारण दर्शित किया गया हो तो ऐसा विलम्ब क्षम्य (माफ़) होगा |
शिनाख्त परेड के दौरान साक्षियों के द्वारा किये गये कथन धारा 164 c.r.p.c.{संस्वीकृतियो एवं कथनों अभिलिखित किया जाना धारा 164 c.r.p.c. } के अंतर्गत अभिलिखित किये जाते है | ऐसे कथन सारवान साक्ष्य नहीं होते है | परन्तु भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 145 एवं 157 के अंतर्गत क्रमशः साक्षियों के खण्डन एवं संपुष्टि के प्रयोजन से ऐसे कथन उपयोग में लाए जा सकते है|
समपत्त टी० शिन्दे बनाम महाराष्ट्र राज्य 1974 ई०
अभिनिर्धारित :– शिनाख्त परेड अधिनयम से अधिक समर्थनकारी साक्ष्य है साक्षी द्वारा न्यायालय में दिए गए साक्ष्य की संपुष्टि के लिए प्रयोग किया जा सकता है | शिनाख्त परेड ही साक्षी द्वारा दिए गए साक्ष्य को पुष्ट करने का एकमात्र साक्ष्य नहीं है साक्ष्य के माध्यम से भी पहचान स्थापित की जा सकती है |
अर्थात पहचान कराने हेतु शिनाख्त परेड ही एकमात्र साक्ष्य नहीं है और अन्य साक्ष्य भी है जिनके माध्यम से पहचान कराई जा सकती है |
4.ऐसे तथ्य जो विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य के घटित होने का समय और स्थान नियत करते है|
अर्थात ऐसे तथ्य जो यह बताते है कि विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य किस समय और किस स्थान पर घटित हुए |
इस बात को समझने के लिए धारा 9 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के द्रष्टान्त (क) का संदर्भ लिया जा सकता है |
द्रष्टान्त (क)
प्रश्न यह है कि कोई विशिष्ट दस्तावेज A की विल है |
अभिकथित विल की तारीख पर A की संपत्ति या उसके कुटुम्ब की अवस्था सुसंगत तथ्य है |
अर्थात अगर हमें यह देखना है कि विल या वसीयत किसी व्यक्ति द्वारा लिखी गई है या नहीं तो हम समय यह देखेंगे कि जिस दिन विल लिखी गई थी उस दिन A के पास इतनी संपत्ति थी कि वह कोई विल या वसीयत लिख सके या उसके कुटुम्ब की अवस्था ऐसी थी कि वह कोई विल या वसीयत लिए सके |
5. ऐसे तथ्य जो उन पक्षकारो का सम्बन्ध दर्शित करते है जिसके द्वारा कोई विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य सव्यवहत हुआ था |
दूसरे शव्दों में कहे तो ऐसे तथ्य जो उन पक्षकारो का सम्बन्ध दर्शित करते है जिनके द्वारा कोई विधायक तथ्य या सुसंगत तथ्य सव्यवहार में आया था या घटित हुआ था |
इस बात को समझने हेतु धारा के निम्न द्रष्टान्तो का संदर्भ लिया जा सकता है |
द्रष्टान्त (ख)
A, B पर वाद लाता है की B ने A के ऊपर निष्कृष्ट आचरण का लांछन { बहुत बुरे आचरण का होने वाला } लगाने वाला एक अपमान लेख प्रकाशित किया है |
A और B के बीच के किसी ऐसे विवाद की विशिष्टिया जो कि अपमान लेख से असंसक्त है अर्थात A और B के बीच का कोई ऐसा विवाद जो अपमान लेख से जुड़ा हुआ नहीं है विसंगत तथ्य है या सुसंगत नहीं है |
किंतु यह तथ्य कि कोई एक विवाद हुआ जिससे A और B के पारस्परिक सम्बन्ध खराब हुए थे, तथ्य है |
अर्थात वह विवाद किस वजह से हुआ था सुसंगत नहीं है किन्तु विवाद हुआ था और सम्बन्ध खराब हुए थे सुसंगत तथ्य है | क्योकि विवाद के बाद उनके सम्बन्ध इस प्रकार के थे की अपमान लेख का प्रकाशित होना सव्यवहारका भाग या सव्यवह्त {Trausected/Trausfer} हुआ था |
द्रष्टान्त (ड)
A चोरी का अभियुक्त है और वह चुराई हुई संपत्ति B को देते हुए देखा जाता है तत्पश्चात B उस सम्पात्ति को A की पत्नी को दे देता है तथा संपत्ति देते वक्त वह कहता है कि A ने कहा है कि तुम इसे छिपा दो |
B का कथनं एक सव्यवहार का भाग बन गया है उनके बीच सम्बन्ध ऐसे कथे कि उसे वह सामान A की पत्नी को देना ही था जो कि एक सव्यवहार का भाग बना है और यह स्पष्ट कर रहा है कि B द्वारा A की पत्नी से यह कहना की A ने कहा है इसे छिपा लो यह तथ्य दर्शित कर रहा है कि छिपाने का कोई न कोई कारण तो होगा और एक ही सव्यवहार का भाग होने वाले तथ्य को स्पष्ट कर रहा है |
द्रष्टान्त (च)
A पर आरोप है की उसने बल्वा किया है तथा इसके लिए उसका विचारण किया जाता है | यह साबित हो चुका है कि वह भीड़ के आगे-आगे चल रहा था |
अब भीड़ के आगे-आगे चलने का अर्थ है कि हो सकता है कि A उस भीड़ का लीडर है और उस भीड़ और A के बीच नेता और जनता का सम्बन्ध हो तो उस भीड़ की आवाजे इसी सव्यवहार का भाग है और जो यह स्पष्ट कर रही है कि A द्वारा बल्वा किया गया है |
अर्थात दूसरे शव्दों में कहे तो A और इस भीड़ के मध्य नेता और जनता का सम्बन्ध था जो की बल्वे {विधायक तथ्य} को सव्यवह्त कर रहा था यानि की घटित कर रहा था और इस प्रयोजनों से भीड़ की आवाजे सुसंगत है |
उपरोक्त तथ्य {अर्थात स्पष्ट करना, इंगित अनुमान का समर्थन या खण्डन करने वाले तथ्य, पहचान स्थापित करने वाले तथ्य, समय या स्थान निर्धारित करने वाले तथ्य, पक्षकारो के रिश्तो पर प्रकाश डालने वाले तथ्य }
वहि तक सुसंगत होंगे जहाँ तक कि उनकी आवश्यकता उससे सम्बंधित प्रयोजनों के लिए है |
अर्थात मान लीजिए A की शिनाख्त परेड करनी है तो वह कथन वहीँ तक सुसंगत होंगे जहाँ तक उसकी पहचान की आवश्यकता है जिन तथ्यों की पहचान की आवश्यकता नहीं कराई जाएगी |
Indian Evidence Act Bare Act in Hindi Download – Link