आज हम जानेंगें धारा 82 से धारा 86 दंड प्रक्रिया संहिता/Crpc Sec 82 to Sec 86 के बारे में जो की उद्घोषणा और कुर्की का उपबंध करती है | उद्घोषणा और कुर्की आदेशिकाओं का प्रयोग न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को हाज़िर होने के लिए विवश करने हेतु किया जाता है |
उद्घोषणा और कुर्की :- Crpc Sec 82 to Sec 86
Crpc Sec 82 to Sec 86 उद्घोषणा और कुर्की का उपबंध करती है |इन धाराओं में यह बताया गया है की कब उद्घोषणा और कुर्की की जा सकती है | कब कोई व्यक्ति कुर्की के विरुद्ध आपति दाखिल कर सकता है |
उद्घोषणा :- धारा 82
उद्घोषणा न्यायालय द्वारा तब जरी की जाती है जब कोई व्यक्ति न्यायालय द्वारा वारंट जारी किये जाने के बाद भी न्यायालय में हाज़िर नही होता है | उद्घोषणा का उपबंध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 में किया गया है |
उद्घोषणा कौन जारी कर सकता है और उद्घोषणा का प्ररूप :-धारा 82(1)
न्यायालय उद्घोषणा जारी कर सकता है। यदि उसको यह विश्वास करने का कारण है कि कोई व्यक्ति, जिसके विरूद्ध वारण्ट जारी किया गया था, फरार हो गया है या अपने को छिपा रहा है, जिससे उस वारण्ट का निष्पादन न हो सके तो, न्यायालय उद्घोषणा जारी कर सकता है।
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ऐसी उद्घोषणा लिखित होगी तथा उसका प्रकाशन किया जाएगा । ऐसी उद्घोषणा कथित व्यक्ति से विनिर्दिष्ट स्थान में और विनिर्दिष्ट समय पर हाजिर होने की अपेक्षा करेगी । हाजिर होने की विनिर्दिष्ट तिथि उद्घोषणा के प्रकाशन की तिथि से कम-से-कम 30 दिन पश्चात् की कोई भी तिथि हो सकती है।
उद्घोषणा का प्रकाशन किस रीति से किया जाएगा :- धारा 82(2)
धारा 82(2) उद्घोषणा के प्रकाशन का प्रावधान करती है। प्रकाशन निम्नलिखित माध्यमों से हो सकता है-
- सार्वजनिक रूप से पढ़कर;
- गृह या वास स्थान के किसी सहज दृश्य भाग पर उसे चस्पा करके;
- न्याय सदन के किसी सहज दृश्य भाग पर उसे चस्पा करके;
- किसी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशन करके।
उद्घोषण निश्चायक सबूत होती है :- {धारा 82(3)}
धारा 82(3) के अनुसार जब न्यायालय यह लिखित कथन देता है कि उद्घोषणा सम्यक् रूप से प्रकाशित कर दी गई है तो उद्घोषणा के प्रकाशन का वह निश्चायक साक्ष्य होगा।
न्यायालय कब किसी अभियुक्त को उद्घोषित अपराधी घोषित कर सकता है :- {धारा 82(4)}
धारा 82(4) के अनुसार यदि धारा 82(1) के अंतर्गत उद्घोषणा जारी कर दी गई है तथा उद्घोषित व्यक्ति उद्घोषणा में विनिर्दिष्ट तिथि को न्यायालय में हाजिर होने से असफल रहता है तो न्यायालय ऐसी जॉच करने के पश्चात्, जैसी वह ठीक समझता है, उस व्यक्ति को उद्घोषित अपराधी घोषित कर सकता है। यदि वह व्यक्ति निम्नलिखित अपराधों में से किसी अपराध का अभियुक्त हैः-
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- धारा 302 एवं 304 भारतीय दण्ड संहिता;
- धारा 364 एवं धारा 367 भारतीय दण्ड संहिता;
- धारा 382 एवं धारा 392 से 400 भारतीय दण्ड संहिता;
- धारा 402, 436, 449, 459, 460 भारतीय दण्ड संहिता।
कुर्की :- धारा 83
धारा 83(1) के अनुसार सम्पत्ति की कुर्की उद्घोषणा जारी होने के पश्चात् तथा उद्घोषणा के साथ-साथ की जा सकती है। कुर्की चल एवं अचल दोनों ही सम्पत्तियों की हो सकती है। कुर्की का आदेश दो परिस्थितियों में दिया जा सकता है। जो कि निम्नवत् हैः-
उद्घोषणा जारी करने के पश्चात कुर्की का आदेश :-
उद्घोषणा जारी करने वाला न्यायालय उद्घोषित व्यक्ति की जंगम या स्थावर या दोनों प्रकार की सम्पत्ति की कुर्की का आदेश उद्घोषणा जारी करने के पश्चात् किसी भी समय दे सकता है। कुर्की का आदेश इसलिए दिया जाता है क्योंकि उद्घोषित व्यक्ति विनिर्दिष्ट समय पर न्यायालय के समक्ष हाजिर नहीं हुआ।
उद्घोषणा के साथ-साथ कुर्की का आदेश :-
निम्नलिखित परिस्थितियों में न्यायालय उद्घोषणा तथा कुर्की का आदेश साथ-साथ दे सकता हैः-
- जबकि वह व्यक्ति अपनी समस्त सम्पत्ति का या उसके किसी भाग का व्ययन करने वाला है; या
- जबकि वह व्यक्ति अपनी सम्पत्ति या उसके किसी भाग को उस न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता से हटाने वाला है।
न्यायालय द्वारा किस सम्पत्ति की कुर्की का आदेश दिया जा सकता है? क्या न्यायालय द्वारा कुर्की आदेश अपनी स्थानीय अधिकारिता के बाहर किसी भी स्थान के लिए दिया जा सकता है :- {धारा 83(2)}
- न्यायालय द्वारा चल एवं अचल दोनों प्रकार की सम्पत्तियों के लिए कुर्की आदेश दिया जा सकता है।
- न्यायालय द्वारा कुर्की का आदेश अपनी स्थानीय अधिकारिताओं की सीमाओं के भीतर तो दिया ही जा सकता है तथा उसके साथ-साथ न्यायालय अपनी स्थानीय अधिकारिता की सीमा के बाहर भी कुर्की का आदेश दे सकता है किंतु ऐसे आदेश को उस जिले के (जो कि न्यायालय की स्थानीय आधिकारिता से बाहर है और न्यायालय द्वारा उस जिले में क ुर्की का आदेश दिया गया है) जिला मजिस्टेªट द्वारा पृष्ठांकित होना आवश्यक है।
किसी सम्पत्ति को कुर्क किए जाने की रीति :- {धारा 83(3) एवं 83(4)}
धारा 83(3) तथा धारा 83(4) के अनुसार कुर्की निम्नलिखित रीतियों से की जाएगीः-
- कब्जा लेकर या अधिग्रहण द्वारा; या
- प्रापक की नियुक्ति; या
- परिदान या भुगतान को प्रतिषिद्ध करने वाले लिखित आदेश द्वारा; या
- उपरोक्त में से सभी या किन्हीं दो रीतियों के द्वारा
किंतु यदि जिस सम्पत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया गया है वह ऐसी सम्पत्ति है जो राज्य सरकार को भू-राजस्व देती है तो कुर्की उस जिले के, जिसमें कुर्की की जानी है, कलेक्टर के माध्यम से की जाएगी।
यदि कुर्क की गई सम्पत्ति जीवधन या विनश्वर प्रकृति की है तब प्रक्रिया :- {धारा 83(5)}
धारा 83(5) जीवधन तथा विनश्वर प्रकृति की सम्पत्ति की कुर्की से सम्बन्धित है। ऐसी सम्पत्तियों को कुर्की के पश्चात् विक्रय किया जाएगा तथा विक्रय के आगमों को न्यायालय के आदेश के अधीन सुरक्षित रखा जाएगा।
यदि कुर्की प्रापक की नियुक्ति द्वारा की गई है तब प्रापक के क्या अधिकार होगें :- {धारा 83(6)}
यदि कुर्की प्रापक की नियुक्ति द्वारा की गई है तो ऐसे प्रापक को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के उपबंध लागू होंगे।
कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियॉ {धारा 84}
धारा 84 दंड प्रक्रिया संहिता/crpc यह उपबंधित करती है की यदि न्यायालय डरावा किसी व्यक्ति की सम्पति की कुर्की कर ली गई है और वह व्यक्ति उद्घोषित व्यक्ति से भिन्न व्यक्ति है जिस व्यक्ति की सम्पति की कुर्की की गई है तो वह न्यायालय के समक्ष आवेदन कर सकता है |
कुर्क की गई सम्पत्ति पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दावा कितने समय के भीतर किया जा सकता है :-{धारा 84(1)}
धारा 83 के अधीन कुर्क की गई किसी सम्पत्ति के बारे में उस कुर्की की तिथि से छः मास के भीतर कोई भी व्यक्ति (उद्घोषित व्यक्ति से भिन्न व्यक्ति) इस आधार पर दावा या आपत्ति कर सकता है कि उस सम्पत्ति में उसका कोई हित है जो कि कुर्क नहीं किया जा सकता है।
कुर्क की गई सम्पत्ति के बारे में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई दावा या आपत्ति कहॉ की जाएगी और उसकी जॉच कौन करेगा :-{धारा 84(2) एवं 84(3)}
कुर्क की गई सम्पत्ति के बारे में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई दावा या आपत्ति उस न्यायालय में किया जाएगा जिसके द्वारा ऐसी कुर्की का आदेश दिया गया है तथा ऐसे दावे या आपत्ति की जॉच उसी न्यायालय द्वारा की जाएगी जिसमें ऐसा दावा किया गया है।
यदि कुर्क की गई सम्पत्ति जिले के बाहर स्थित है तो ऐसा दावा उस जिले के (जिसमे सम्पत्ति स्थित है) मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट के समक्ष किया जाएगा। ऐसा मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट उस दावे या आपत्ति की जॉच को अपने अधीनस्थ किसी मजिस्टेªट को दे सकता है।
यदि कुर्क की सम्पत्ति के बारे में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई दावा या आपत्ति न्यायालय द्वारा नामंजूर कर दी जाती है तब प्रक्रिया :- {धारा 84(4)}
यदि कुर्क की गई सम्पत्ति के बारे में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया कोई दावा या आपत्ति न्यायालय द्वारा नामंजूर कर दी जाती है तो पीड़ित व्यक्ति अपने अधिकार को सिद्ध करने के लिए 1 वर्ष के भीतर वाद संस्थित कर सकता है।
न्यायालय द्वारा कब कुर्क गई सम्पत्ति को र्निमुक्त कर दिया जाता है, कब उसका विक्रय कर दिया और कब उस सम्पत्ति को वापस कर दिया जाता है :- {धारा 85}
न्यायालय द्वारा कुर्क की गई सम्पत्ति को निर्मुक्त, विक्रय और वापस निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता हैः-
- जब उद्घोषित व्यक्ति न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो जाता हैः-{धारा 85(1)}
धारा 85(1) वहॉ अपेक्षित होती है जहॉ उद्घोषित व्यक्ति न्यायालय के समक्ष हाजिर हो जाता है। यदि उद्घोषित व्यक्ति उद्घोषणा में विनिर्दिष्ट समय के भीतर हाजिर हो जाता है तो न्यायालय द्वारा सम्पत्ति को कुर्की से निर्मुक्त करने का आदेश दिया जाएगा। - यदि उद्घोषित व्यक्ति न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं होता हैः-{धारा 85(2)}
यदि उद्घोषित व्यक्ति उद्घोषणा में विनिर्दिष्ट समय के भीतर न्यायालय में हाजिर नहीं होता है तो कुर्क की गई सम्पत्ति राज्य सरकार के व्ययनाधीन रहेगी। राज्य सरकार उस सम्पत्ति को 6 मास की अवधि तक या धारा 84 के अंतर्गत किए गए दावों या आपत्तियों का निपटारा हो जाने तक सुरक्षित रखेगी।
परंतु यदि ऐसी सम्पत्ति शीघ्रतया या प्रकृत्या क्षयशील है तो न्यायालय उसके विक्रय का आदेश दे सकता है। - यदि उद्घोषित व्यक्ति उद्घोषणा में निर्दिष्ट समय के भीतर हाजिर होने में असफल रहता है किंतु कुर्की की तिथि से 2 वर्ष के भीतर हाजिर हो जाता है तब प्रक्रियात्रझ {धारा 85(3)}
यदि उद्घोषित व्यक्ति उद्घोषणा में निर्दिष्ट समय के भीतर न्यायालय में हाजिर होने में असफल रहता है परंतु कुर्की की तिथि से 2 वर्ष के भीतर हाजिर हो जाता है या गिरफ्तार कर लिया जाता है तब न्यायालय निम्नलिखित के प्रति जॉच करता हैः-
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- क्या वह व्यक्ति वारण्ट के निष्पादन से बचने के प्रयोजन से फरार हो गया था या अपने को छिपा रहा था;
- क्या उस व्यक्ति को उद्घोषणा की सूचना मिल गई थी;
यदि ऐसी जॉच या परिणाम उस व्यक्ति के पक्ष में जाता है तो न्यायालय कुर्क सम्पत्ति को निर्मुक्त करने का आदेश देगा या यदि उस सम्पत्ति का विक्रय कर दिया गया है तो उसके शुद्ध आगमों को उस व्यक्ति को देने का आदेश देगा।
यदि उद्घोषित व्यक्ति कुर्की की तिथि से 2 वर्ष के भीतर न्यायालय के समक्ष हाजिर हो जाता है और न्यायालय उस व्यक्ति को कुर्क सम्पत्ति का परिदान या उसके विक्रय के आगर देने से इंकार करता है तब प्रक्रिया :- {धारा 86}
यदि उद्घोषित व्यक्ति कुर्की की तिथि से 2 वर्ष के भीतर न्यायालय के समक्ष हाजिर हो जाता है और उचित कारण दर्शित करने के बाद भी न्यायालय द्वारा सम्पत्ति या उसके विक्रय के आगमों का परिदान करने से न्यायालय द्वारा इंकार कर दिया जाता है तब ऐसा व्यक्ति सक्षम न्यायालय के समक्ष अपील कर सकता है।