Chapter- 5-A of IPC {Sec 120-A and Sec 120-B}Sec 120Chapter- 5-A of IPC {Sec 120-A and Sec 120-B}

आज हम जानेंगें Chapter- 5-A of IPC के बारे में जो की Sec 120-A and Sec 120-B तक है | यह अध्याय हमको आपराधिक षड्यंत्र के बारे में बताता है |

आपराधिक षड्यंत्र :- {Chapter- 5-A of IPC}

  1. अध्याय 5-A {धारा 120-A एवंम 120-B} आपराधिक षड्यंत्र से सम्बंधित है | इस अध्याय को संसोधन अधिनियम 1913 के द्वारा अंतःस्थापित किया गया था |
  2. धारा 120-A आपराधिक षड्यंत्र को परिभाषित करती है | जबकि धारा 120-B आपराधिक षड्यंत्र के लिए दण्ड का प्रावधान करती है |
  3. आपराधिक षड्यंत्र एक सारवान अपराध है | यह एक सतत्त अपितु अपूर्णनीय अपराध है |
  4. आपराधिक षड्यंत्र के अपराध की आधारशिला करार है | विधि भंग करने का कोई करार इस अपराध का मूल तत्व है | चूँकि यह अपराध करार से घटित होता है अतः न्यूनतम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है |
  5. गोपनीयता एवंम निजता आपराधिक में अन्तर्निहित है | अतः इसका प्रत्यक्ष  साक्ष्य सदैव दुर्लभ होता है | अभियोजन द्वारा यह दर्शित किया जाना, की यह विश्वास करने का युक्तियुक्त कारण है की आपराधिक षड्यंत्र किया गया था, पर्याप्त साक्ष्य माना जायगा |
  6. अनेक विधिशास्त्री इस अपराध की निंदा करते है | आलोचना का मुख्य कारण यह है की सरकार द्वारा इसके दुर्पयोग की सम्भावना बनी रहती है |

आपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा :- {धारा 120-A}

“जबकि दो या दो से अधिक व्यक्ति –

1.   कोई अवैध कार्य; या

2.   कोई ऐसा कार्य, को अवैध नही है, अवैध साधनों द्वारा, करने या करवाने को सहमत होते है,
                   तब ऐसी सहमती आपराधिक षड्यंत्र कहलाती है |”

                  परन्तु किसी अपराध को करने की सहमती के सिवाय कोई सहमति आपराधिक षड्यंत्र तब तक न होगी, जब तक की सहमती के अलावा कोई कार्य उसके अनुसरण में उस सहमती के एक या अधिक पक्षकारो द्वारा नही कर दिया जाता है |

आपराधिक षड्यंत्र के आवश्यक तत्व :-

  1. न्यनतम दो व्यक्ति होने चाहिये |
  2. उनके मध्य किसी अवैध कृत्य या ऐसा कृत्य जो अवैध नही है किन्तु अवैध साधनों द्वारा करने का करार होना चाहिये |
  3. अपराध करने या करवाने का करार स्वयं में आपराधिक षड्यंत्र होगा परन्तु कोई अन्य करार आपराधिक षड्यंत्र तभी होगा जबकि करार के अनुसरण में पक्षकारो के द्वारा कोई कार्य भी किया गया हो |

धारा 120-A का स्पष्टीकरण :-

यह तत्वहीन है की अवैध कार्य ऐसी सहमती का चरम  उद्देश्य है या उस उद्देश्य का आनुषंगिक मात्र है | 

यद्यपि आपराधिक षड्यंत्र के लिए कम से कम दो व्यक्ति अपेक्षित है परन्तु कुछ परिस्थितियों में एकल व्यक्ति को आपराधिक षड्यंत्र के लिए दोषसिद्ध  किया जा सकता है | ऐसी कुछ परिस्थितियां निम्नवत है :- 

  1. जबकि करार के एक पक्षकार की मृत्यु हो गई हो ;
  2. जबकि करार का एक पक्षकार फरार हो गया हो ;
  3. जबकि करार के किसी पक्षकार के विरुद्ध अभियोजन के पूर्व की विधिक अपेक्षा पूर्ण न हुई हो |

तमिलनाडु राज्य बनाम नलिनी , 1999, सुप्रीम कोर्ट 

अभिनिर्धारित :- आंग्ल विधि में यदि केवल पति तथा पत्नी किसी षड्यंत्र के पक्षकार है तो उन्हें आपराधिक षड्यंत्र के लिए दण्डित नही किया जा सकता है क्योंकि विधितः पति पत्नी एक ही व्यक्ति माने जाते है | परन्तु भारत में ऐसा कोई नियम नही है | अतः भारतीय विधि में  पति पत्नी को आपराधिक षड्यंत्र के लिए दण्डित किया जा सकता है |

योगेश उर्फ सचिन जगदीश जोशी बनाम महाराष्ट्र राज्य, 2008 सुप्रीम कोर्ट

अभिनिर्धारित :- इस वाद में यह अभिनिर्धारित किया गया कि षड्यन्त्र के अपराध के गठन हेतु दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मस्तिष्क का मिलन अनिवार्य है। परन्तु प्रत्यक्ष साक्ष्य द्वारा ऐसे व्यक्तियों के मध्य करार को सिद्ध करना सम्भव नहीं है। षड्यन्त्र के उद्देश्य को आस- पास की परिस्थितियों और अभियुक्त के आचरण (conduct) से अनुमान लगाया (inferred) जा सकता है। यह एक मौलिक (substantive) अपराध है। किसी अपराध के करने का मात्र करार ही इसे दण्डनीय बनाता है। भले ही वह अपराध उस अवैध करार के परिणामस्वरूप घटित न हो क्योंकि षड्यंत्र स्वतः एक मौलिक अपराध है।

आपराधिक षड्यंत्र हेतु दण्ड {धारा 120-B}

  1. मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दण्डनीय अपराध के आपराधिक षड्यंत्र का दोषी पाया गया व्यक्ति दुष्प्रेरक की भांति दण्डनीय होता है {यदि संहिता में कोई अभिव्यक्त उपबंध न हो }|
  2. उपरोक्त अपराध से भिन्न किसी अपराध के आपराधिक षड्यंत्र का दोषी पाया गया व्यक्ति 6 माह तक के किसी भी भांति के कारावास से या जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय होता है |  
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